Kahaniya Hindi Mai – दुश्मन कभी दोस्त नहीं बन सकता बच्चों की

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दुश्मन कभी दोस्त नहीं बन सकता बच्चों की Kahaniya हिंदी में, एक गहरे कुए में मेंढकों का राजा गंगादत्त रहता था, उसके साथी व परिवारजन भी उसी कुए में रहते थे. 

गंगादत्त के कुछ सगे सम्बन्धियों की नजर उसकी राजगद्दी पर थी, वे रोज कोई ना कोई नयी समस्या उसके लिए खड़ी करते रहते थे.

गंगादत्त के राज्य की शांति भंग करके वहां अराजकता फेलाने के उद्देश्य से उन सम्बन्धियों ने गंगादत्त के एक मंत्री के साथ मिलकर एक योजना बनाई.

सीघ्र ही राज्य में विद्रोह फ़ैल गया लेकिन गंगादत्त ने किसी प्रकार विद्रोह का दमन कर दिया, लेकिन सारे घटनाक्रम से वह बेहद खफा था, उसने विद्रोहियों को ऐसा सबक सिखाने की कसम खाई की वो जीवन भर याद रख सकें.

एक दिन कुए की मुंडेर से निचे लटकती हुई जंजीर पकड़कर गंगादत्त कुए से बहार निकल आया, और बढ़ चला विषधर काले सांप के बिल की ओर उस सांप को वह पहले भी वहां देख चुका था!

‘’क्या वह कुआँ सुख चुका है?’’ सांप ने पूंछा” “नहीं बहुत ज्यादा पानी है उसमें”  गंगादत्त ने कहा, लेकिन तुम्हे चिंता करने की आवशयकता नहीं है.

पानी की सतह के उपर एक बड़ा छेद है तुम मेरे सम्बन्धी मेंढकों को खाकर वहां आराम कर सकते हो तब ठीक है”

चलो चलाकर तुम्हारे दुष्ट सम्बन्धियों को मजा चखा ही दूँ, जोरदार फुंफकार करता सांप बोला, गंगादत्त सांप को कुए के निकट ले जाकर बोला.

“इसमें रहते हैं मेरे सम्बन्धी व विद्रोही तुम उन सबको मारकर खा जाओ, लेकिन मेरे परिवारजनों पर कोई आंच ना आये, इस बात का जरुर ध्यान रखना.

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“ठीक है कहता हुआ सांप कुए में प्रवेश कर गया, पीछे-पीछे गंगादत्त भी था सांप ने एक-एक कर उन मेंढकों का सफाया करना शुरू कर दिया.

जिनकी ओर गंगादत्त इशारा करता जाता था जल्दी ही सांप गंगादत्त के सभी शत्रुओं को खा गया, सांप बोला गंगादत्त में तुम्हारे सभी विद्रोही शत्रुओं को मार कर खा चुका हूँ.

और अब मेरे पास तुम और तुम्हारे परिजनों के अलावा खाने को कुछ नहीं बचा”
अब गंगादत्त को अपनी गलती का एहशाश होने लगा था.

उसने अपनी जाती के दुश्मनों के सफाए के लिए पूरी जाती के दुश्मन सांप के साथ संधि जो कर ली थी, गंगादत्त को सांप के रूप में मौत सामने खड़ी दिखाई दे रही थी.

लेकिन उसने जैसे-तैसे हिम्मत बटोरकर कहा, तुम चिंता मत करो सांप भैया” में दुसरे तालाबों व कुओं में रहने वाले मेंढकों को राजी कर लूंगा की वो यहाँ आकर रहें, जब वे यहाँ आ जाएँ तो तुम आराम से मारकर उन्हें खा लेना.

सांप बोला, “ठीक है जाओ,  जल्दी से उन्हें लेकर यहाँ आओ मुझे बहुत भूख लग रही है, मेंढकों का राजा गंगादत्त और उसकी पत्नी इस बहाने कुए से बाहर निकले और भाग चले फिर कभी उस कुँए में वापस ना लौटने के लिए.


तो दोस्तों हमें इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है की मदद के लिए शत्रु पर कभी भरोसा नहीं, करना चाहिये जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है उसमें एक दिन खुद ही गिर जाता है.

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